Sunday, March 13, 2016

गार्सिया मार्केज़ की सीखें - अपने आंसुओं से मैं गुलाबों को सींचता


अगर एक पल को ईश्वर यह भूल जाए कि मैं चीथड़ों से बना एक गुड्डा नहीं हूँ और मुझे जीवन की एक कतरन अता फरमाए तो मैं शायद वह सब नहीं कहूँगा जो मैं सोचता हूँ. मैं उस सब की बाबत सोचूंगा जो मुझे कहना होगा.  

मैं चीजों को उनकी कीमत से नहीं बल्कि इस बात से आंकूंगा कि उनका अर्थ क्या है.

मैं कम सोऊंगा और यह सोचता हुआ सपने ज्यादा देखूँगा कि आँखें बंद करते ही हम एक मिनट में रोशनी के साठ सेकेण्ड गंवा देते हैं.

जब दूसरे लोग मटरगश्ती कर रहे होंगे मैं चलूँगा और जब वे सो रहे होंगे जगूंगा.    

जब दूसरे बोल रहे होंगे तो मैं सुनूंगा और एक बढ़िया चॉकलेट आइसक्रीम का मज़ा लेने के बारे में सोचूंगा.

अगर ईश्वर मुझे जीवन की एक कतरन अता फरमाएगा तो मैं साधारण पोशाक पहनूंगा, मैं अपनी देह ही नहीं अपनी आत्मा को भी उघाड़ते हुए सबसे पहले अपने को सूरज के सामने उछल दूंगा.

मेरे ख़ुदा! अगर मेरे पास एक दिल होता तो मैं अपनी नफ़रत को बर्फ़ पर लिखता और सूरज के बाहर आने  का इंतज़ार करता. वान गॉग के सपने के साथ मैं बेनेदित्ती की कविता को सितारों में उकेर देता और सेरात एक कविता मेरे वास्ते एक प्रेमगीत होती जिसे मैं चंद्रमा को पेश करता.

अपने आंसुओं से मैं गुलाबों को सींचता ताकि उनके काँटों के दर्द और उनकी पंखुड़ियों में पुनर्जन्म लिए चुम्बनों को महसूस कर पाऊं. मेरे ख़ुदा अगर मेरे पास जीवन की एक कतरन होती तो मैं एक भी ऐसा दिन न बीतने देता जब मैं उन लोगों से, जिन्हें मैं प्यार करता हूँ कहता कि मैं उन्हें प्यार करता हूँ.

मैं हरेक औरत और हरेक आदमी को यकीन दिलाता कि वे मेरे सबसे प्यारे हैं और यह कि मैं प्यार से प्यार करता हुआ जिये चला जाऊंगा.


मैं उन इंसानों पर यह साबित करूंगा कि यह सोचने में वे कितने गलत हैं कि एक बार बूढ़ा हो जाने पर वे प्यार नहीं कर सकते; वे नहीं जानते कि प्यार करना बंद करने पर ही वे बूढ़े होते हैं.  

एक बच्चे को मैं पंख दूंगा लेकिन उसे खुद उड़ना सीखने दूंगा. मैं बूढों को सिखाऊंगा कि मृत्यु बड़ी उम्र के कारण नहीं बल्कि भूल जाने की वजह से आती है. तुमसे मैंने इतना सारा सीखा है, इंसानो!

मैंने सीखा है कि हर कोई पहाड़ की चोटी पर रहना चाहता है बिना यह जाने कि सच्ची खुशी इस बात में है कि उस पर चढ़ा कैसे गया है.

मैंने सीखा है कि जब एक शिशु सबसे पहले अपने पिता की उंगली को अपनी नन्ही हथेली में जकड़ता है, वह हमेशा के लिए उसे अपने साथ जकड़ लेता है.

मैंने सीखा है कि आदमी को दूसरे आदमी को नीची निगाह से देखने का अधिकार तभी है जब वह उसे उसके पैरों पर खड़ा करने में मदद कर रहा हो.


मैंने तुमसे कितनी ही बातें सीखी हैं, इंसानो! लेकिन सच यह है कि उनका ज़्यादातर किसी काम का नहीं होता क्योंकि जब वे मुझे उस सूटकेस के भीतर रख रहे होंगे, बदकिस्मती से मैं मर रहा होऊँगा.

4 comments:

गणेश जोशी said...

अपने आंसुओ से मैं गुलाबों को सींचता... जीवन को जीने और समझने का नज़रिया...गार्सिया मार्केज का मस्त अंदाज दिल को छू गया। शुक्रिया अशोक दा।

Unknown said...

क्योंकि जब वे मुझे उस सूटकेस के भीतर रख रहे होंगे, बदकिस्मती से मैं मर रहा होऊँगा....गजब मार्केज एक न भूलने वाली खुशी और उससे उमड़ा प्रेम का समन्दर और गर्क होती मेरी अनसिखा कश्ती ....I love you Garcia

Geeta Gairola said...

मार्केज को पढ़ना जीवन के नए अनुभवों से गुजरना है

Pratibha Katiyar said...

कमाल है बस...जादुई मार्खेज.