Tuesday, March 22, 2016

तुम हो ब्रज की सुन्दर गोरी, मैं मथुरा को मतवारो - कुमाऊँ में गाई जाने वाली होलियाँ - 3


छनकारो हो छनकारो
गोरी प्यारो लगो तेरो छनकारो
छनकारो हो छनकारो

तुम हो ब्रज की सुन्दर गोरी
मैं मथुरा को मतवारो
छनकारो हो छनकारो

चुनरी चादर सभी रंगे हैं
फागुन ऐसो रसवारो
छनकारो हो छनकारो

सब सखियाँ मिल खेल रही हैं
दिलबर की दिल न्यारी
छनकारो हो छनकारो

अब के फागुन अरज करति हूँ
दिल को कर दे मतवारो
छनकारो हो छनकारो

ब्रज मंडल में धूम मची है
खेलत सखियाँ सांवरो
छनकारो हो छनकारो

लपकि झपकि वो बांह मरोरे
फिर पिचकारी दे मारो
छनकारो हो छनकारो

घूँघट खोलि गुलाल मलत है
वनज करै यो वन जारो
छनकारो हो छनकारो

नीलाम्बर सखि विनति करत है
तन मन धन उन पर वारो
छनकारो हो छनकारो

1 comment:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 23 मार्च 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!