Wednesday, April 2, 2014

लीक से हटना और नाफ़रमानी हरेक गोदने की परिभाषा हैं


टीना दास असम के जोरहट की रहने वाली हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम.ए. कर रही हैं. अंग्रेज़ी में कविता लिखने वाली टीना की इन कविताओं में बकौल उनके उन्हीं की जी हुई चीज़ें अपने आप अपनी जगह बना लेती हैं. इन कविताओं में बहुत साहस नज़र आता है और एक पैनी समकालीन दृष्टि. विषयवस्तु की दृष्टि से भी इनमें एक अनूठापन है. ‘गोदना’ (tattoo) कविता में वे संत टेरेसा की छवि को ले आती हैं तो दूसरी वाली में समलैंगिकता की बेहद नज़दीक से पड़ताल करती हैं.  मैंने कुछ दिन पहले उनकी कुछेक कवितायेँ पढ़ी थीं और उन्हें हिन्दी में अनुवाद करने का मन बनाया था.

सो उन्हें उम्दा साहित्यिक भविष्य की शुभकामनाएं देता मैं उनकी दो कवितायेँ आपके लिए पेश करता हूँ. अनुवाद में हुई गलतियों और कमियों की पूरी ज़िम्मेदारी मेरी है -

गोदना

स्थिरता की स्याही,
एक देह के कैनवस की नसें उकेरती हुई,
दर्द के हरेक हचकोले में
मुझे दीखती है कला और ख़ूबसूरती.
लीक से हटना और नाफ़रमानी हरेक गोदने की परिभाषा हैं:
लेकिन मुझे दीखती है अनंत ख़ूबसूरती बस.
दर्द की मधुमक्खी और सृजन का रक्त
एक पैटर्न में उलझे हुए;
चुभती हुई चीख़ और दर्द की मुस्कराहट,
खुद का उकसाया पागलपन.
हरेक दफ़ा
तुम्हारे “क्यों” का जवाब नहीं देती मैं.
यह आनन्द की बरछी है जैसे संत टेरेसा ने महसूस किया था.
मैं दुनिया के लिए नहीं
अपने लिए परिभाषित करती हूँ इसे.
मैं इसे देखती हूँ स्थाईपन के अस्थायित्व की मानिंद,
मेरा आने वाला कल मेरे आज को नापसंद करेगा
लेकिन मेरे पास यह होगा, मेरे ऊपर हर दिन.

कल्पना का शिशु

अपने दिमाग की गोधूलि में
मैं रचती हूँ
सौन्दर्य की एक छवि?
शायद एक सांवले, उत्तेजक आकर्षण की  
दुलार छोड़ जाएगा अपने घाव: न भरे हुए डर लगता है बहते खून से.
या तो वह मुझे प्यार करेगी या मैं उसे,
क्या फर्क पड़ता है कौन हवा देता है लालसा को?
मैं उसकी पेशाब की आवाज़ सुनूंगी
बहती आती पानी की धार
मैं चाहूंगी उसकी लालसा मुझे डुबो ले,
वह जिसका स्वाद मुझे गली हुई चॉकलेट सा लगेगा गर्मियों में
मैं जानती हूँ कहीं बेहतर होगा उसका स्वाद.
लेकिन जब मैं उसके ख़यालों को महसूस करूंगी कम रह जाएगा स्वाद का मतलब.
उसका इन्कलाब और भारी उसका दिल
जब वह अनावृत्त करती है उन्हें, डूब जाती हूँ मैं
अपने ही द्रवों के ज़लज़ले में.

3 comments:

के सी said...

खूब सुन्दर

शिल्प और तत्व आशा भरे.

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत खूबसूरत रचनाऐं ।

Ankur Jain said...

काफी सुंदर रचनाएं...