Friday, January 3, 2014

एक पूर्व प्रेमी छिपता है एक हवा में, चिठ्ठियों के भंवर में चक्कर खाता - बेई दाओ की कवितायेँ ५


कल से शुरू कर के

मैं प्रवेश नहीं कर सकता संगीत के भीतर
सिर्फ़ झुका सकता हूँ अपने आप को काले रेकॉर्ड पर घूमने को
समय के एक धुंधले पार्क में घूमने को
बिजली के तय किये गए एक पार्श्व में
कल एक गूढ़ खुशबू निकल आई थी हरेक फूल के भीतर से
कल खोली गयी थीं फोल्डिंग कुर्सियां एक एक कर
हर किसी को बैठने की जगह मुहैया करतीं
बहुत देर से इंतज़ार कर रहे थे रोगी
सर्दियों के दिल को लेकर आओ
जब सोते का पानी और विशाल गोलियां
बन जाते हैं रात के शब्द
जब स्मृति भौंकती है
एक इंद्रधनुष से अभिशप्त होता है कालाबाजार

मेरे पिता के जीवन की लपट एक मटर के दाने जितनी
मैं उनकी प्रतिध्वनि हूँ
मुलाक़ातों के कोने को पलटता
एक पूर्व प्रेमी छिपता है एक हवा में
चिठ्ठियों के भंवर में चक्कर खाता

बीजिंग, , जाम उठाने दो मुझे
अपने लैम्पपोस्टों के नाम
बनाने दो मेरे सफ़ेद बालों को
काले नक़्शे पर अपना रास्ता
जैसे कि एक तूफ़ान आपको उड़ाये लिए जा रहा हो

मैं कतार में खड़ा इंतज़ार करता हूँ जब तक कि
छोटी खिड़की बंद नहीं हो जाती: ओ चमकीले चन्द्रमा
मैं घर जाता हूँ पुनर्मिलन
एक कम होते है
अलविदाओं से

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत खूब !

Asad Zaidi said...

nb

वर्षा said...

मुलाकातों के कोने को पलटता
कितनी गहरी पंक्तियां हैं..
एक पूर्व प्रेमी छिपता है हवा में