Monday, July 2, 2012

मिर्ज़ा अब्दुल बेग और उनके बावर्ची -


ज़िया मोहीउद्दीन की आवाज़ में उर्दू गद्य के बेजोड़ नगीने आप कबाड़खाने में सुनते रहे हैं. मुश्ताक़ अहमद यूसुफी की रचना "इक्तेबास". आवाज़ एक बार फिर से उस्ताद ज़िया मोहीउद्दीन की -

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