Saturday, April 28, 2012

अगर होनी ही है यात्रा, तो होना चाहिये उसने अनन्त!


आज महमूद दरवेश के अनुवादों को टटोलता रहा. एक कविता पर ध्यान दुबारा से अटका. फिर याद आया जलसा के दुसरे अंक में भी यह छाप चुकी है. हो सकता है कबाड़खाने पर भी लगी हो कभी. फिर से लगाने में क्या हरज है -


एक रहस्यमय घटना की तरह

प्रशान्त महासागर के तट पर, पाब्लो नेरूदा के घर में
मुझे यान्निस रित्सोस की याद आई.
एथेन्स उनका स्वागत कर रहा था जो समुद्र से आए थे
रित्सोस की चीख से चमकते एक एम्फ़ीथियेटर में:
"ओ फ़िलिस्तीन
मिट्टी के नाम
और आकाश के नाम
विजयी होओगे तुम ..."

और उसने मुझे गले लगाकर, विजय का संकेत बनाते हुए मेरा परिचय कराया:
"यह मेरा भाई है,"

तब मुझे लगा कि मैं जीत गया, और यह कि टूट गया
किसी हीरे की मानिन्द, और रोशनी के सिवा मेरा कुछ बचा नहीं.

एक आरामदेह रेस्त्रां में, हमने अपने दो पुराने देशों
को लेकर कुछ अंतरंग बातें कीं, और आने वाले कल की बात
कुछ स्मृतियों को लेकर: एथेन्स ज़्यादा ख़ूबसूरत था.
जहां तक याबनूस की बात है, उस में कुछ और समा ही नहीं सकता था, जनरल
ने रोने और शिकार हुओं के आंसू चुराने के वास्ते
पैग़म्बर का मुखौटा उधार ले लिया था: "मेरे प्रिय शत्रु!
मैंने तुम्हें बिना जाने-बूझे मारा था, मेरे प्रिय शत्रु,
क्योंकि तुम मेरे टैंक को तंग कर रहे थे."

रित्सोस बोले: लेकिन स्पार्टा ने
एथेन्स की कल्पना की उठान को तोड़ डाला. सत्य
और न्याय दो जुड़वां भाई हैं जो साथ जीतते हैं. कविता में
मेरे भाई! कविता बीते और आने वाले कल के
दरम्यान एक पुल होती है. हो सकता है थके हुए मछेरे
मिथकों से बाहर जा रहों के साथ घुलमिल जाएं.
और साझा करें थोड़ी वाइन.

मैंने कहा: कविता क्या है ... थोड़े शब्दों में है क्या कविता?
उन्होंने कहा: यह एक रहस्यमय घटना होती है, कविता
मेरे दोस्त, वह अबूझ उत्कंठा होती है
जो किसी चीज़ को बदल देती है इन्द्रजाल में, और
इन्द्रजाल को बना देतॊ है कोई चीज़. तो भी यह सार्वजनिक सौन्दर्य को
साझा करने की हमारी ज़रूरत को समझा सकती है ...

पुराने एथेन्स में उनके घर में कोई समुद्र नहीं,
जहां देवियां जीवन के कामकाज सम्हालती हैं
दयालु मनुष्यों के साथ-साथ, और जहां युवा इलेक्ट्रा
बूढ़ी इलेक्ट्रा को बुलाकर उस से पूछती है: क्या तुम
वास्तव में मैं हो?

और उनके संन्यासियों जैसे संकरे कमरे में छतों के ऊपर
कोई रोशनी नहीं धातु को जंगल को देखती हुई.
उनके चित्र कविताओं की तरह पानी के रंग होते हैं, और मेहमानों के उनके कमरे के
फ़र्श पर चुने हुए कंकड़ों की तरह मढ़ी हुई किताबें.


उन्होंने मुझसे कहा: जब कविता ज़िद्दी हो जाती है, मैं तीतर को
पकड़ने के लिए चट्टानों पर कुछ जालों के चित्र खींच देता हूं.

मैंने कहा: आपकी आवाज़ में समुद्र कहां से आता है, जबकि समुद्र
तो मेरे दोस्त, पहले से ही घेरा जा चुका है?

उन्होंने कहा: स्मृतियों की दिशा से, हालांकि
"मुझे याद नहीं कि कभी युवा था मैं भी."
मैं दो शत्रु भाइयों के साथ जन्मा था:
मेरी क़ैद और मेरी बीमारी.

और आपने अपना बचपन तब कहां खोजा, मैंने पूछा?
अपनी भावुक आन्तरिकता में. मैं बच्चा हूं
और उम्रदराज़ भी. मेरा बच्चा मुझे सिखाता है मेरी उम्रदराज़ उपमाएं.
और मेरा उम्रदराज़ मेरे बच्चे को मेरी वाह्यता में चिन्तन करना सिखाता है.
मेरा वाह्य है मेरा अन्तर
जब भी क़ैद संकरी होने लगती है मैं हर चीज़ में पसर जाता हूं,
और जब जब रात अपनी गश्त पर होती है
मेरी भाषा किसी मोती की तरह चौड़ी हो जाती है

और मैंने कहा: मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा. मैंने अपने आप को
जीवन से प्रेम करने को
प्रशिक्षित करना सीखा और यह कि सफ़ेद भूमध्यसागर में
कैसे चलाए जाएं चप्पू रास्ता या घर या
रास्ते और घर के द्वैत को खोजते हुए.
उन्होंने इस तारीफ़ पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने मुझे कॉफ़ी प्रस्तुत की.
तब कहा: तुम्हारा ओडीसियस सुरक्षित वापस लौट आएगा,
वह 
लौट  आएगा ...

 प्रशान्त महासागर के तट पर, पाब्लो नेरूदा के घर में
मुझे अपने घर में मौजूद यान्निस रित्सोस की याद आई.
वे प्रवेश कर रहे थे उस वक़्त अपनी एक मिथक में,
देवियों में से एक से कहते हुए: अगर होनी ही है यात्रा,
तो होना चाहिये उसने अनन्त!

No comments: