Friday, May 27, 2011

ज़्बिग्नियू हेर्बेर्त की कविता

पोलिश कवि ज़्बिग्नियू हेर्बेर्त (29 अक्टूबर 1924 – 28 जुलाई 1998) एक पिछली सदी के बड़े कवि, निबन्धकार और नाटककार थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे ज़्यादा अनूदित किए गए ज़्बिग्न्यू हेर्बेर्त की औपचारिक शिक्षा अर्थशास्त्र और कानून में हुई थी. १९८६ में वे पेरिस चले गए जहां उन्होंने एक पत्रिका के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया. वे १९९२ में वापस पोलैण्ड आए. उनकी मृत्यु के दस साल बाद पोलिश सरकार ने निर्णय लिया कि सन २००८ को ज़्बिग्न्यू हेर्बेर्त के वर्ष के तौर पर मनाया जाएगा. उनकी एक कविता -


वास्तुशिल्प

एक कोमल मेहराब के ऊपर -
पत्थर की एक भौंह -

एक दीवार के
सुस्थिर माथे पर

प्रसन्न खुली खिड़कियों में
जहां जिरेनियम के बदले चेहरे हैं

जहां सख़्त आयत
सपना देखते दृष्टिकोण की सरहद तक पहुंचते है

जहां सतहों के एक शान्त खेत पर बहती है
एक आभूषण की वजह से जगी एक धारा

गति मिलती है स्थिरता से एक रेखा मिलती है एक पुकार से
कांपती अनिश्चितता सादगीभरी स्पष्टता

तुम हो वहां
वास्तुशिल्प
पत्थर और फ़न्तासी का कारनामा

तुम वहां निवास करते हो सौन्दर्य
एक मेहराब के ऊपर
एक आह जितने हल्के

एक दीवार पर
ऊंचाई के कारण ज़र्द

और एक खिड़की
कांच के एक चौखट के साथ आंसूभरे

स्पष्ट आकृतियों से आए एक भगौड़े
मैं तारीफ़ करता हूं तुम्हारे गतिहीन नृत्य की

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