Sunday, March 27, 2011

द ऑटम ऑफ़ द पेट्रियार्क -1

गाब्रीएल गार्सीया मारकेज़ के साक्षात्कारों की पुस्तक अमरूद की ख़ुशबू ने अब तक छप कर आ जाना चाहिये था. हिन्दी के एक स्वनामधन्य महात्मा प्रकाशक के पास इसकी पाण्डुलिपि कोई पांच-छः सालों से पड़ी अण्डे दे-से रही है. लेकिन इधर अब मुझे अपने लिखे-अनूदित किए को छपाने की मेहनत काम करने की मेहनत से ज़्यादा तकलीफ़देह लगने लगी है और फ़िलहाल मैंने तय किया है कि काम करता जाऊंगा और जब-तब उसमें से कुछ हिस्से इस अड्डे पर पेश करता जाऊंगा. बाक़ी मेरे कबाड़ख़ाने में पड़ा रहेगा.

मेरा ग़ुस्सा यहीं समाप्त होता है.

अमरूद की ख़ुशबू में एक पूरा अध्याय मारकेज़ के उपन्यास द ऑटम ऑफ़ द पेट्रियार्क को लेकर है. बाक़ी महानुभावों का जो भी कहना हो मुझे तो वन हन्ड्रेड ईयर्स ऑफ़ सॉलीट्यूड और लव इन द टाइम्स ऑफ़ कॉलरा से ज़्यादा यही किताब भाई है. प्लीनियो आपूलेयो मेन्दोज़ा, जो मारकेज़ के अन्तरंग साथी रहे हैं, ने समय समय पर मारकेज़ से उनके काम और जीवन को लेकर तमाम बार साक्षात्कार लिए थे. अमरूद की ख़ुशबू नाम से इन साक्षात्कारों को किताब की सूरत दी गई. आप इस के एकाधिक अंश यहां पढ़ चुके हैं. आज से शुरू करता हूं द ऑटम ऑफ़ द पेट्रियार्क नाम का अध्याय -



क्या तुम्हें उस हवाई जहाज की याद है?

किस हवाई जहाज की?

जिसे हमने 23 जनवरी 1958 की सुबह दो बजे काराकास के ऊपर उड़ते सुना था. हम दोनों सान बेर्नार्दीनो के उस फ्लैट में थे शायद, और हमने उसे बालकनी से देखा था: काले आसमान में उड़ती हुई वे दो लाल रोशनियां, कर्फ्यू से खाली पर जगे हुए काराकास के ऊपर, तानाशाह की हार की खबर की हर क्षण प्रतीक्षा करते हुए.

वो जहाज जिसमें बैठ कर पेरेज़ हिमनेज़ भागा था.

वही जहाज जिसने वेनेजुएला में आठ साल की तानाशाही का अन्त किया था. हमने पाठकों को उस खास क्षण के बारे में कुछ बताना चाहिये। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि तब तुम्हें तानाशाही पर उपन्यास लिखने का विचार आया था जो सत्रह वर्षों और दो परित्यक्त संस्करणों के बाद ‘द ऑटम ऑफ द पैट्रिआर्क’ बनकर सामने आया.

जहाज के भीतर तानाशाह, उसकी पत्नी, बच्चियां, उसके मंत्री और उसके नजदीकी दोस्त थे। उसके चेहरे पर न्यूरेल्जिया का प्रभाव था. वह अपने सेक्रेटरी पर आग-बबूला था जो जहाज चढ़ने की सीढ़ी पर वह सूटकेस छोड़ आया था जिसके भीतर ग्यारह मिलियन डॉलर भरे हुए थे.


जैसे-जैसे जहाज उठता गया और दूर कैबिरबियन की तरफ उड़ा, रेडियो उद्घोषक ने शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम रोककर तानाशाह के पतन की सूचना दी थी. क्रिसमस के पेड़ की मोमबत्तियों की तरह काराकास की खिड़कियां एक-एक करके रोशन होना शुरू हुईं. भोर की ठण्डी हवा और धुंध के बीच उत्सव का वातावरण था-हार्न बन रहे थे, लोग चीख रहे थे, फैक्ट्रियों के सायरन तेज आवाज में बज रहे थे, कारों और लॉरियों से झण्डे लहरा रहे थे. एक भीड़ ने राजनीतिक बंदियों को कन्धों पर नेशनल सिक्युरिटी बिल्डिंग से बाहर ला कर उसे आग के हवाले कर दिया था.

यह पहली बार हुआ था जब हमने लातीनी अमरीका में किसी तानाशाह का पतन देखा था. एक साप्ताहिक पत्रिका के पत्रकारों के तौर पर गार्सीया मारकेज और मैंने इन सघन क्षणों को भरपूर जिया. हमने सत्ता के सारे केन्द्रों का भ्रमण किया-रक्षा मंत्रालय, जो एक किले जैसा था जिसके गलियारों में बोर्डों पर लिखा था-‘यहां से जाने पर यहां देखी-सुनी चीजों को भूल जाओ’, और मीराफ्लोरेस-राष्ट्रपति का निवास-एक पुराना औपनिवेशिक महल जिसके बरामदे के बीच एक फव्वारा था और हर तरफ फूलों की टोकरियां। वहां गार्सीया मारकेज की मुलाकात एक परिचारक से हुई जिसने महल में उस पुराने तानाशाह हुआन विसेन्ते गोमेज के समय से काम किया था. ग्रामीण मूल का तानाशाह गोमेज जिसकी आंखें और मूंछें तार्तारों जैसी थीं, तीस साल तक अपनी कठोर तानाशाही के बाद अपने बिस्तर पर शान्तिपूर्वक मरा था. परिचारक को जनरल, उसके दोपहर सोने का हैमक और सबसे प्रिय मुर्गे की याद थी. क्या उससे बात करने के बाद तुम्हें उपन्यास लिखने का विचार आया था?

नहीं, यह उस दिन हुआ था जब पेरेज़्ा हिमेनेज के पतन के बाद सत्ताधारी पार्टी उसी मीराफ्लोरेस के महल में इकट्ठा हुई थी. तुम्हें याद है? कुछ महत्वपूर्ण चीज चल रही थी. सारे पत्रकार और फोटोग्राफर राष्ट्रपति के दफ्तर के एन्टी-रूम में इंतजार कर रहे थे. करीब सुबह का चार बजा था जब दरवाजा खुला और युद्ध की वर्दी पहने एक अफसर, हाथ में मशीनगन लिये, कीचड़ भरे बूटों में उल्टा चलता हुआ बाहर निकला, वह प्रतीक्षारत प्रेस के पास से गुजरा.

अब भी उल्टा चलता हुआ?

उल्टा चलता हुआ, अपनी मशीनगन थामे. गलीचे पर अपने बूटों का कीचड़ छोड़ता हुआ. वह सीढ़ियों से उतर कर एक कार में बैठा जो उसे एयरपोर्ट और आगामी निष्कासन की तरफ उड़ा ले गई.

यह तब हुआ था जब उस कमरे से सिपाही बाहर निकला जहां वे लोग नई सरकार के निर्माण पर चर्चा कर रहे थे, तब मुझे अचानक सत्ता के रहस्य समझ में आये.

कुछ दिनों बाद जब हम उस पत्रिका के दफ्तर की तरफ जा रहे थे जहां हम काम करते थे, तुमने कहा था कि लातीन अमरीकी तानाशाहों का उपन्यास अभी लिखा जाना बाकी है. हम दोनों इस बात पर सहमत हुए थे कि एस्तूरियास का उपन्यास ‘द प्रेजीडेन्ट’ जो हमारे ख्याल से भयानक था, वह उपन्यास नहीं था.

हां, यह भयानक है.

मुझे याद आता है कि तुमने तानाशाहों की जीवनियां पढ़ना शुरू कर दिया था. तुम हैरत में पड़ गये थे. सारे लातीन अमरीकी तानाशाह पूरे पागल होते हैं. हर रात डिनर के समय तुम हम लोगों को उन किताबों की कहानियां सुनाया करते थे. वो कौन सा तानाशाह का जिसने सारे काले कुत्तों को मरवा दिया था?

डुआलियर, हाइती का डॉक्टर डुवालियर: ‘पापा डाक’. उसने सारे देश के काले कुत्तों को मरवा दिया था क्योंकि उसके एक दुश्मन ने, कैद किये जाने और मरवा दिये जाने के भय से अपने आप को एक कुत्ते में, एक काले कुत्ते में बदल लिया था.

(जारी)

4 comments:

hamarivani said...

nice

निशांत मिश्र - Nishant Mishra said...

बहुत खूब!
काश यह किताब जल्द छपकर आ जाए!

प्रवीण पाण्डेय said...

पुस्तक शीघ्र ही छपे अब।

abcd said...

लेखक तो बो चला
देख्नना कही बीज..बीज ही न रेह जाए /

लानत भेज्ता हु उन
सभी बान्झ जमीनो सद्रश्य प्रकाशको पर
जो इन अनमोल बीजो को अप्ने ही भीतर सडा देते/लेते है /
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