Thursday, January 27, 2011

ओसियां

जोधपुर से करीब साठ ही किलोमीटर का फासला है ओसियां कस्बे का, पर अभी कुछ दिनों पहले ही पहली बार वहाँ जाने का अवसर मिला. क़स्बा पुराना है ये पहले से ही जानता था और उसमें पहुँचने पर कोई भी, इन दिनों चल पड़े मुहावरे का सहारा लूँ तो, बिना रॉकेट साइंस पढ़े भी, कह सकता है कि जगह काफी क़दीम है. यहाँ जैन तीर्थ यात्री ख़ूब आते है. हिन्दुस्तान के कई हिस्सों में बरसों से अपना ठिकाना किये मारवाड़ी जैन भी. और इसका असर देखिये, जोधपुर से ओसियां के रास्ते पर बना एक मशहूर ढाबा ' शेरे पंजाब ' से 'शुद्ध वैष्णव' हो गया.

ओसियां कस्बे में ख़ास मारवाड़ी सूखे साग की हर चप्पे पर दुकानें है जो 'देस' से बाहर बसे मारवाड़ियों को तेज़ धूप में सुखाई गयी देसी सब्जियों का स्वाद बेचने के लिए खुली रहती है. सांगरी, कैर, कूमटा, काचरा जैसी सूखी सब्जियां कई महीनों तक खराब नहीं होती. ये अलग बात है कि आज मारवाड़ के शहरों में भी ये रोज़मर्रा की बात न होकर कौतुहल के बायस बरती जाने वाली वस्तुएँ हो गयी हैं. खैर.

कई पुराने मंदिरों की जर्जर देह धारे ये गाँव एक आम श्रद्धालु के लिए आज सच्चियाय माता मंदिर और जैन मंदिर के लिए ज़्यादा जाना जाता है. इन दिनों कुछ सैलानी यहाँ के रेतीले टीले और उस पर ऊँट सवारी के आनंद के लिए भी आते हैं.

तो देखें, ओसियां के चित्रों की एक झांकी. मेरी ख़ास कोशिश इनके ज़रिये आपको ये दिखाने की है कि किस तरह पुराने मंदिरों में, जीर्णोद्धार के बहाने,पुराने और नए वक्त के टुकड़ों को जोड़ने की बेढंगी कोशिश की जाती है.

5 comments:

शिवा said...

ओसियां कस्बे
की सैर का आनंद आ गया .... सुंदर प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय said...

शुद्ध शाकाहारी पर्यटन।

मुनीश ( munish ) said...

Mesmerizing !but, these places can be enjoyed in a different company and with a heavy wallet only . i mean itz nice to be there in a petrol-guzzling SUV with some firang- friends who can utter a big 'WoW' at every drop of hat . overall a costly affair and thats y i luv Himachal and UK(uttarakhand) only and more so bacause i get some oxygen as incentive there.

Ashok Pande said...

एक एक तस्वीर बताती है किस तरह से हमारे देश में हर सुन्दर चीज़ का भूसा भरा गया है.

Smart Indian said...

शुक्रिया!