Tuesday, November 9, 2010

उनको प्रणाम!



बाबा नागार्जुन की यह कविता मुझे बहुत पसन्द है. और असफल पलों के पश्चात्ताप से उबरने में इन पंक्तियों से काफ़ी मदद मिलती है. बाबा को प्रणाम!

उनको प्रणाम!

जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम।

कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए;
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त तूणीर हुए!
उनको प्रणाम!

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार,
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार!
उनको प्रणाम!

जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे,
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि
कुछ असफल ही नीचे उतरे!
उनको प्रणाम

एकाकी और अकिंचन हो
जो भू-परिक्रमा को निकले,
हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके
इतने अदृष्ट के दाव चले!
उनको प्रणाम

कृत-कृत नहीं जो हो पाए,
प्रत्युत फाँसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल!
उनको प्रणाम!

थी उम्र साधना, पर जिनका
जीवन नाटक दु:खांत हुआ,
या जन्म-काल में सिंह लग्न
पर कुसमय ही देहाँत हुआ!
उनको प्रणाम

दृढ़ व्रत औ' दुर्दम साहस के
जो उदाहरण थे मूर्ति-मंत?
पर निरवधि बंदी जीवन ने
जिनकी धुन का कर दिया अंत!
उनको प्रणाम!

जिनकी सेवाएँ अतुलनीय
पर विज्ञापन से रहे दूर
प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर-चूर!
उनको प्रणाम!

14 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेरित करती है कविता और वे कार्य जो अपूर्ण रहे।

abcd said...

ये नही थक्ने देन्गे किसी को
ये नही रुक्ने देन्गे किसी को
ये नही गिरने देन्गे किसी को ..
इन्के साथ होने पर सिर्फ़.....
अन्तिम सान्स तक लडा जा सक्ता है /
-----------------------------------
चरण वन्दना/

naveen kumar naithani said...

जो छोटी-सी नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार,
मन की मन में ही रही, स्वयं
हो गए उसी में निराकार!
उनको प्रणाम!
यह कविता आज पहली बार देखी . सच दुनिया को जानना हो तो उनसे पूछना चाहिये जो असफल रहे.इअस कविता की अनुगूंजें बहुत सारे आयामों की तरफ जाती है .
धन्यवाद

मुनीश ( munish ) said...

Baba at his best . A matchless personality like Nirala !

प्रीतीश बारहठ said...

baba ne muze itane pranam kiye !!
mera bhi pranam baba ko aur khud ko.

अरुण चन्द्र रॉय said...

बाबा नागार्जुन से मैं १९९२ में धनबाद, झारखण्ड में मिलने का, उन्हें सुनने और उन्हें अपनी कवितायें सुनने का अवसर मिला था. आई एस एम् के सभागार में उन्होंने 'मिलिट्री घोडा ' कविता के साथ साथ यह कविता भी पढ़ी थी.... उनका पूरा व्यक्तित्व ही प्रेरणा का श्रोत है मेरे लिए...

वंदना शुक्ला said...

जिनकी सेवाएं अतुलनीय
पर विज्ञापन से दूर रहे
प्रतिकूल परिस्थितियों ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर चूर
उनको प्रणाम .......
अद्भुत.....!

वंदना शुक्ला said...

जिनकी सेवाएं अतुलनीय
पर विज्ञापन से दूर रहे
प्रतिकूल परिस्थितियों ने जिनके
कर दिए मनोरथ चूर चूर
उनको प्रणाम .......
अद्भुत.....!

Vinashaay sharma said...

प्रेरणा दायक कविता,वैसे तो कबिताब्ध पंक्तियां,गद्य के
अपेक्षा अधिक प्रभावित करतीं हैं,मेने गद्यातम्क एक बलोग इसी आशय का लिखा था,असफल व्यक्ति को सफलता के लिये क्युं नही,प्रेरक किया जाता ।
यह तो में अपनी ओर से कह रहां हुँ,सफलता की तो जयजकार होती है,पर असफल व्यक्ति को क्युं,नहीं,प्रेरित किया जाता ।

Arun Aditya said...

उनको प्रणाम...

Shalini kaushik said...

संग्रहणीय, हमारा भी प्रणाम

नूपुरं noopuram said...

pranaam

bahut achha laga padh kar.

subah ki sunahri dhoop ki tarah
man ko bha gai.

dhanywad.

www.noopurbole.blogspot.com

कविता रावत said...

प्रेरक प्रस्तुति

Sudha Devrani said...

सफलता या असफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण है कर्म.....
प्रतयेक कर्मठ व्यक्ति को प्रणाम....
बहुत लाजवाब
वाह!!!