Friday, July 9, 2010

कैसी आश्चर्यजनक कथा है यह



तुर्की कवि ओरहान वेली (१९१४ - १९५०) की एक कविता का अनुवाद आप यहाँ पढ़ चुके हैं।उनका संक्षिप्त - सा परिचय और उन्हीं की एक महत्वपूर्ण आत्मकथात्मक / आत्मपरिचयात्मक कविता 'कर्मनाशा' पर उपलब्ध है। ओरहान वेली ने अपने आसपास की दुनिया से अपनी कविताओं के सिरे और सूत्र तलाशे हैं । हम सब जिन चीजों को प्राय: मामूली, साधारण , तुच्छ और महत्वहीन समझ कर छोड़ दिया करते हैं  वह एक कवि की निगाह में जरूरी और बड़ी चीजों का दर्जा हासिल कर लेती हैं क्योंकि वह मामूलीपन और साधारणता में छिपे अदृश्य को शब्दों के माध्यम से दृश्यमान कर उनके होने को बाकी अन्यान्य चीजों के होने के साथ जोड़ देता है। ओरहान वेली की कविताओं की साधारणता , शब्दों की मितव्ययिता , कहन के अंदाज का खिलड़ंदापन और ओढ़ी हुई संजीदगी से बचाव उन्हें एक अलग  तरीके के कवि के रूप में देखे जाने की आवश्यकता को बताती है। खैर, अब कविताओं को ही बोलने दें , तो आइए देखते पढ़ते हैं ये दो कवितायें :
दो कवितायें : ओरहान वेली
(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)

०१-
व्यस्तता

सोचती हैं सुंदर स्त्रियाँ
कि उन्ही के बारे में
लिखता हूँ मैं अपनी कवितायें।

मैं परेशान हो जाता हूँ
यह  सब जान कर।

मुझे पता है
मैं इसलिए लिखता हूँ
ताकि रख सकूँ खुद को व्यस्त।

०२-
अली रज़ा और अहमद की कथा

कैसी आश्चर्यजनक कथा है यह
अली रज़ा और अहमद की!

एक रहता है गाँव में
और दूसरा शहर में।

हर सुबह
अली रज़ा जाता है
गाँव से शहर की ओर
और अहमद
शहर से गाँव की तरफ।

3 comments:

मुनीश ( munish ) said...

Turkey means great-baths,belly-dancers,gateway to Europe , a liberal society, Orhan Pamuk etc., but this is another Orhan made famous by you .

मुनीश ( munish ) said...

...or perhaps i think so as i can't appreciate this very routine, mundane stuff .I wish i could call it great ,but i have my own limited faculty of appreciation . That doesn't matter, however , because i have never been a poet and i believe poetry is a dangerous pursuit.

varsha said...

beshak kuch alag aur achchi kavitaen hein ye...