Monday, October 13, 2008

फूलों को खिलता हुआ सुनिये!



ऐन्तिनियो विवाल्दी (१६८०-१७४१) इटली के मशहूर कम्पोज़र और वायलिनवादक हुआ करते थे. हालांकि उन्होंने जीते-जी सन्तभाव से कभी किसी गिरजे का मुंह नहीं देखा, १७०३ में मिले एक पवित्र सम्मान के कारण उन्हें 'लाल बालों वाला पादरी' का उपनाम हासिल हुआ. १७१३ से १७४० तक वे वेनिस के एक स्कूल में संगीत सिखाते रहे. पाश्चात्य संगीत के तीर्थ विएना में अगले बरस उन्होंने आख़िरी सांस ली.

विवाल्दी ने चालीस से ज़्यादा सिम्फ़नी रचीं पर मशहूर वे अपनी वॉयलिन कॉन्चियेर्तोज़ के कारण हुए. मौसमों पर आधारित चार कम्पोज़ीशनों की एक सीरीज़ अब उनकी पहचान बन चुकी है.

आज विवाल्दी के बारे में इतना ही. अब कल से अगले तीन रोज़ इसी वक़्त आप इस सीरीज़ की बाक़ी कम्पोज़ीशन्स सुन सकते हैं. धीरे-धीरे इस संगीतकार के बारे में कुछ और दिलचस्प चीज़ें आपको बताने का प्रयास करूंगा.

पहली वाली का नाम है "वसन्त".

फूलों को खिलता हुआ सुनिये!



वसन्त आ रहा है हम पर
परिन्दे अपने ख़ुशीभरे गीतों के साथ मना रहे हैं उसकी वापसी का जश्न
और गुनगुनाती धाराओं को हौले से सहलाती है हवा
वसन्त के हरकारे तूफ़ान गरजते हुए अपना काला लबादा फैला देते हैं स्वर्ग पर
फिर वे ख़ामोश हो जाते हैं और परिन्दे एक बार फिर शुरू करते हैं अपना गीत

फूलों से भरे एक चरागाह पर, सोता है एक चरवाहा
उसके ऊपर झूलती पेड़ों की डालियां और उसका वफ़ादार कुत्ता बग़ल में

गांव की मशकबीनें बुला लेती हैं युवतियों को
और चरवाहे उनके साथ नाचते हैं धीरे-धीरे, वसन्त की चमकीली छतरी के नीचे.

2 comments:

siddheshwar singh said...

भाई,
आप ही के सौजन्य से पिछले एक साल से यह मेरे पास है. आज इसे यहं सुनकर और विवाल्दी(मैं तो विवाल्डी ही जान रहा था) के बारे में पढ़कर अच्छा लगा.
और कब?

अमिताभ मीत said...

ओह ! ये तो अद्भुत है.